राहुल और सिया की मुलाकात कॉलेज में हुई थी। दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे, लेकिन शुरुआत में ज्यादा बातचीत नहीं होती थी। एक दिन बारिश हो रही थी और सिया छाता लाना भूल गई। राहुल ने मुस्कुराते हुए अपना छाता शेयर किया। उस दिन से दोस्ती की शुरुआत हुई।
धीरे-धीरे बातें बढ़ीं, और दोस्ती प्यार में बदलने लगी। सिया को राहुल की सादगी पसंद थी, और राहुल को सिया की मुस्कान। दोनों एक-दूसरे की छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखने लगे। लाइब्रेरी में साथ पढ़ना, कैंटीन में एक ही कॉफी शेयर करना, सब कुछ खास लगता था।
एक दिन राहुल ने गुलाब के फूल के साथ सिया से कहा, "क्या तुम मेरी ज़िंदगी की कहानी बनना चाहोगी?" सिया की आंखों में खुशी के आँसू थे, उसने "हाँ" कह दिया।
आज भी, जब वे अपनी पुरानी यादों को याद करते हैं, तो वही मासूमियत और प्यार महसूस करते हैं। उनका रिश्ता दोस्ती से शुरू होकर प्यार और फिर जीवनभर के साथ में बदल गया।
यह कहानी बताती है कि सच्चा प्यार वक्त लेता है, पर जब होता है, तो बहुत खूबसूरत होता है।
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